azam khanराहुल गांधी के आरोप वोट चोरी और आयोग की पोल 

राहुल गांधी के आरोप वोट चोरी और आयोग की पोल

 

Rahul Gandhi के आरोप साबित हुए तो चुनाव आयोग के अफसरों और मीडिया पर होगी बड़ी कार्रवाई? सच जानिए!
Rahul Gandhi 

1. एटम बम” सबूत  7 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने “एटम बम” कहकर यह दावा किया कि कर्नाटक के महदेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 से अधिक फर्जी मतदाता थे, जिसमें डुप्लिकेट वोटर, फर्जी और अवैध पते, और एक ही पते पर भारी संख्या में वोटर शामिल थे। उनका कहना था कि इससे बीजेपी को 32,707 वोट की बढ़त मिली, जो कांग्रेस के लिए निर्णायक था।

2. आयोग की वेबसाइट और डेटा की मांग

राहुल गांधी ने मांग की कि चुनाव आयोग उन्हें पिछली 10–15 वर्षों का मशीन-रीडेबल ई-वोटर डेटा और सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराए। यदि कुछ सही नहीं है, तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना चाहिए।

3. पांच सवाल आयोग से बेंगलुरु ‘वोट अधिकार रैली’ में, गांधी ने आयोग से पांच सवाल पूछे

Rahul Gandhi के आरोप साबित हुए तो चुनाव आयोग के अफसरों और मीडिया पर होगी बड़ी कार्रवाई? सच जानिए!
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rahul gandhi                   rahul gandhi

 

 

 

1. विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं मिल रही?
2. सीसीटीवी व वीडियो साक्ष्य को मिटाया जा रहा है—क्यों और किसके निर्देश पर?
3. फर्जी वोटिंग और मतदाता सूची में छेड़छाड़ क्यों?
4. विपक्षी नेताओं को धमकाया जा रहा है—क्यों?
5. आयोग की जवाबदेही पर अन्य प्रश्न।

                             azam khan

4. वोट चोरी आयोग से हुआ—रैली में आरोप

* उन्होंने कहा कि बीजेपी ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर कर्नाटक से लोकसभा सीट चुराई और लोकतंत्र को चोट पहुंचाई।

*5. मौखिक और आधिकारिक चुनौती

* राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार की नजर में चुनाव प्रक्रिया “चोरी” है, और उन्होंने सांसद के रूप में पहले से संविधान का “हलफ़नामे” दिया हुआ है।

चुनाव आयोग (EC) की प्रतिक्रिया: झूठे दावे या पुनरावृत्ति”?

1. आत मार्क स्क्रिप्ट

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आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “पुरानी, थकी हुई स्क्रिप्ट” बताया और कहा कि 2018 में कमलनाथ ने मिलते-जुलते आरोप लगाए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

*2. औपचारिक घोषणा या माफी की मांग

* आयोग ने गांधी से कहा कि यदि वे अपने दावों पर यकीन रखते हैं, तो उन्हें निर्वाचन Rolls से संबंधित नियमों के अनुसार “घोषणा पत्र—Declaration/Oath” दर्ज करना चाहिए, अन्यथा वे जनता से माफी मांगें।

*3. मिसलीडिंग” और तथ्य-जांच

* आयोग ने गांधी के आरोपों को “भ्रामक” करार दिया, और कहा कि इन मुद्दों पर कोई औपचारिक शिकायत नहीं दी गई है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी राज्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा तैयार रोल चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

*4. कर्नाटक सरकार द्वारा उपयोग

* आयोग ने यह भी बताया कि कर्नाटक की कांग्रेस-शासित सरकार ही उसी मतदाता सूची का उपयोग जाति जनगणना के लिए कर रही है, जिससे इन सूचियों की वैधता और विश्वसनीयता सिद्ध होती है।

*5. नेताओं का समर्थन और सवाल

* पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आयोग पर भाजपा का एजेंट होने के आरोप लगाए, और यह सवाल उठाया कि क्या आयोग ने सहज निष्पक्षता बनाए रखी है।

*6. प्रदेश कांग्रेस समिति की मांग

* चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आयोग से सार्वजनिक जवाबदेही और उच्चस्तरीय संसदीय/न्यायिक जाँच की मांग की, क्योंकि आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

| पक्ष | प्रमुख तर्क |
| ———– | —————————————————————————————————————- |
| राहुल गांधी | महदेवपुरा में कथित 1 लाख से अधिक फर्जी वोट, सीसीटीवी मिटाने और डिजिटल रोल डेटा न देने जैसे आरोप |
| चुनाव आयोग | आरोपों को पुरानी स्क्रिप्ट, भ्रामक तथा बिना औपचारिक शिकायत और प्रमाण के बताया; डिजिटल रोल और डेटा उपलब्ध कराए गए |

महत्वपूर्ण बिंदु

आयोग ने स्पष्ट किया कि वास्तविक मतदाता सूची (electoral rolls) उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं; यदि राहुल गांधी को मशीन-रीडेबल डेटा चाहिए था तो उन्हें औपचारिक तौर पर घोषणा पत्र देकर मांगना चाहिए था।
आयोग पर गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन एक पक्ष ने प्रस्तुत आरोपों का कानूनी रूप से जवाबी कदम नहीं उठाया है; यह द्विपक्षीय और तथ्यपरक संवाद जरूरी बनाता है।

क्या आप चाहेंगे कि मैं अब इसमें चुनाव आयोग की वेबसाइट से वास्तविक वोटर लिस्ट के उदाहरण और डेटा टेबल भी जोड़ दूं ताकि यह लेख और मजबूत बन जाए?

अगर राहुल गांधी के आरोप पूरी तरह साबित हो जाते हैं—यानी जांच में यह सिद्ध हो जाए कि सच में संगठित तरीके से “वोट चोरी” हुई, जिसमें नेता, चुनाव अधिकारी और मीडिया के कुछ हिस्से शामिल थे—तो भारतीय क़ानून के तहत उन पर बहुत कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

 

मैं इसे तीन स्तरों में समझाता हूँ

1. *कानूनी कार्रवाई (Indian Penal Code, Representation of the People Act)

1. भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत:

* *धारा 171C, 171D, 171F*: चुनाव में भ्रष्ट आचरण, मतदाता को डराना या प्रभावित करना, और फर्जी मतदान—3 से 6 महीने तक की जेल, और/या जुर्माना।
* *धारा 465, 468, 471*: दस्तावेज़ों में जालसाजी (मतदाता सूची में फर्जी नाम डालना), 2 से 7 साल तक की सज़ा।
* *धारा 120B*: साज़िश (criminal conspiracy)—मुख्य आरोपियों को 2 साल से लेकर आजीवन कारावास तक।

2. Representation of the People Act, 1950/1951 के तहत:

* धारा 136: निर्वाचन अधिकारी द्वारा जानबूझकर ग़लत आचरण—3 साल तक की जेल।
* धारा 125, 127: चुनाव में ग़लत प्रभाव डालना, धमकाना—6 महीने से 3 साल तक की जेल।
* धारा 8: दोष सिद्ध होने पर सांसद/विधायक की *तुरंत सदस्यता समाप्त* और कम से कम 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध।

2. प्रशासनिक कार्रवाई (अधिकारियों पर)

निलंबन और सेवा से बर्खास्तगी अगर सरकारी अधिकारी शामिल पाए गए, तो उन्हें तुरंत निलंबित किया जाएगा और विभागीय जांच के बाद बर्खास्त किया जा सकता है।
पेंशन और लाभ जब्त*: रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ भी पेंशन/सेवानिवृत्ति लाभ रोके जा सकते हैं।
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस: अगर रिश्वत या वित्तीय लाभ मिला हो, तो संपत्ति जब्ती और लंबी जेल।

3. मीडिया और दलाल नेटवर्क पर कार्रवाई

* *प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता रद्द करना (अगर प्रिंट मीडिया शामिल है)।
* *आईटी एक्ट और IPC* के तहत फर्जी खबर फैलाने, जानबूझकर ग़लत सूचना देने और चुनाव प्रक्रिया प्रभावित करने पर केस।
* चैनलों के प्रसारण लाइसेंस निलंबित करने या रद्द करने की कार्रवाई।
* दलालों पर—आयकर, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग से जांच।

4. संभावित उच्चस्तरीय कदम

* *सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट द्वारा निगरानी में SIT (Special Investigation Team) या CBI जांच।
* भविष्य के चुनावों में मतदाता सूची का पूरी तरह डिजिटल ऑडिट और कड़े निगरानी तंत्र।
* दोषी राजनीतिक दल पर आर्थिक जुर्माना* और चुनाव आयोग से मान्यता रद्द करने जैसी सिफारिश (हालाँकि यह दुर्लभ है)।

अगर यह सच साबित हो जाए, तो यह सिर्फ आपराधिक मामला नहीं होगा—बल्कि भारत में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल होगा, और कार्रवाई “उदाहरण” बनाने जैसी होगी ताकि दोबारा कोई ऐसा न कर सके।

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