5 अगस्त 2025: धराली (उत्तरकाशी) में बादल फटने की त्रासदी
घटना
* इस दिन कौटिल्य नदी खीर गंगा के ऊपरी जलधारण क्षेत्र में अचानक Cloudburst हुआ, जिसने सिर्फ कुछ ही सेकंड में धराली गाँव में भयंकर तांडव मचाया।
* भीषण बारिश से नदी उफान पर आ गई, जहाँ पानी की तेज धार ने मकान, होटल, दुकानें और सड़कें लील लीं।
क्षति: दुःखद और भयावह
* मृत्यु की संख्या 4 से 5 बताई गई, जब कि *लगभग 100 लोग लापता थे, जिनमें स्थानीय निवासी और पर्यटक दोनों शामिल हैं।
अनुमान है कि 60 से अधिक लोग मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं, जिनमें 11 सैनिक भी शामिल हैं
लगभग *50‑60 घर, दर्जनों होटल और होमस्टे और स्थानीय बाज़ार पूरी तरह नष्ट हो गए।
राहत एवं बचाव कार्य
* भारतीय सेना (Ibex ब्रिगेड), NDRF, SDRF और स्थानीय अधिकारी पर बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
* 150 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया* गया, लेकिन बारिश और खराब मौसम के कारण हवाई बचाव और सड़क मार्ग गंभीर रूप से प्रभावित रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लगातार अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगले 24 घंटे अलर्ट मोड में रहें।
भावुक दृष्टिकोण: धराली की वो मूक चीख

धराली जो ट्रैकरों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों से भरा रहता था—आज उस गाँव का एक हिस्सा प्रत्यक्ष रूप से मिटा दिया गया।
कुछ ही पलों में मस्ती और आवाज़ें गूंजती थीं, अब रह गई खामोशी, मलबे के ढेर में अटके लोगों की बेबसी और आँखों में हारे परिवारों का अनमोल आँसु।
धराली का नाम सुनते ही वह दृश्य याद आता है
30 सेकंड में सब तबाह धराली का बाज़ार, उसके घर, होटल, दुकानें, सब कुछ बह गया।
जब प्रशासन-सेना पहुँची, तब तक कुछ परिवार अभी भी बचाव हेतु जानापहचान और अनजान से हाथ मिला रहे थे—किसी का दर्शन, किसी का आश्रय, किसी का जीवनचर्या सब पानी के संग बह गया।

प्राकृतिक आपदा या सिस्टम की कमी?
Cloudburst जैसी घटनाएं हिमालयी क्षेत्रों में आम हैं, लेकिन:
सावधानी पूर्व चेतावनी की कमी
रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का अभाव
पर्यावरणीय नियमों की अवहेलना
जंगलों व नदी किनारों पर अवैध निर्माण
इन सारी कमियों की भरपाई इस भयावह घटना से पहले नहीं हुई।
IMD ने राज्य में भारी बारिश की चेतावनी दी थी (5‑10 अगस्त तक रेड अलर्ट) लेकिन वास्तविक तैयारी कहां थी?
अब क्या? – एक पुकार
1. *प्रत्येक संवेदनशील क्षेत्र में तात्कालिक चेतावनी प्रणाली स्थापित हो
2. *आपदा‑प्रबंधन योजनाएं सक्रिय रूप से लागू की जाएं, केवल मुआवजा नहीं
3. *स्थानीय लोगों को बचाव‑प्रशिक्षण दिया जाए*
4. *प्राकृतिक तंत्र से तालमेल रखें, प्रकृति को हथियाने का प्रयास बंद करें
धर्मो, दर्शन, पर्यटन क्या किसी भी परिस्थिति में मानवता की कीमत तय कर सकते हैं?
नहीं, बल्कि धराली जैसी त्रासदियाँ हमें यह बताती हैं कि *प्राकृतिक चेतावनियों से आंखें मूंदना और सिस्टम की चूक हमें जीवन के अहसास तक से दूर कर देती हैं।
ऊर्जावान संदेश
यह लेख धराली के उन सभी परिवारों को समर्पित है, जिनकी मुस्कान, आशा और जीवन की नींव बाढ़ और मलबे में बह गई।
यह लेख उस सरकार को भी संदेश है कि आपदा के पहले नहीं, पहले से तैयारी करें, मानवीय चिंतन को ज़िन्दगी की रक्षा से जोड़ें।
आज धराली की आशा दब गई, कल आपकी आशा भी दब सकती है—अगर चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया गया।
एक संवेदनशील नागरिक की भावपूर्ण पुकार।
टूटे परिवारों की याद, पर उम्मीद की एक किरण अभी बाकी है—उसे जलने दें।

